शब्द का अर्थ
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					धाक 					 :
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					पुं० [सं०√धा+क] १. वृष। साँड़। २. आहार। भोजन। ३. अन्न। अनाज। ४. खंभा। ५. आधार। सहारा। ६. पानी का हौज। ७. ब्रह्म। स्त्री० [?] १. किसी व्यक्ति के ऐश्वर्य, गुण, पद आदि का वह प्रभाव जिससे लोग दबे या भयभीत रहते और उसका सामना करने से डरते हों। आतंक। दबदबा। जैसे—आज-कल बाजार में उनकी धाक है। मुहा०—धाक जमना या बँधना=रोब या दबदबा होना। आतंक छाना। धाक जमाना या बाँधना= ऐसा कम करना जिससे लोगों पर दबदबा या रोब छा जाए। २. ख्याति। प्रसिद्धि। शोहरत। पुं०=ढाक (पलास)।a				 | 
			
			
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					धाकड़ 					 :
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					वि० [हिं० धाक] १. जिसकी धाक या दबदबा चारो ओर हो। २. ख्याति। ३. प्रसिद्धि। हृष्ट-पुष्ट। तगड़ा। बलवान। पुं० १. साँड़। २. बैल। पुं०=धाकर।a				 | 
			
			
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					धाकना 					 :
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					अ० [हिं० धाक+ना (प्रत्य०)] १. धाक या रोब जमाना। २. किसी की धाक से प्रभावित होना।b 				 | 
			
			
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					धाकर 					 :
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					पुं० [?] १. कुलीन ब्राह्मण। २. राजपूतों की एक जाति। ३. एक तरह का गेहूँ जिसकी फसल को जल की आवश्यकता नहीं होती। वि० [?] वर्ण-संकर। दोगला।a वि०, पुं०=धाकड़।a				 | 
			
			
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					धाकरा 					 :
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					पुं०=धाकड़।				 | 
			
			
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